रेशों से बाज़ार तक जानें कैसे काम करता है टैक्सटाइल उद्योग।
बिहार उद्यमी संघ, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार (Ministry of Electronics and IT, Govt of India) एवं सूक्ष्म , लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय, भारत सरकार (Ministry of MSME, Govt of India) के तत्वाधान में वेबिनार का आयोजन हुआ ।
आज के इस वेबिनार में बिहार के एक मात्र टेक्सटाइल उद्योग छेत्र भागलपुर के जुझारू बुनकरों ने इस क्षेत्र के बारे में काफ़ी विस्तृत जानकारी साझा किया।
इस वेबीनार की शुरुआत के डी इंडस्ट्रीज की संस्थापक मोनिका कुमारी ने किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में बताया की किस प्रकार वो और उनकी टीम भागलपुर के सिल्क उद्योग को विश्व पटल पे ले जाने का प्रयास कर रही हैं।
हाल के दिनों में सिल्क थ्रेड के कमी के कारण इसके आयात से रॉ मैटेरियल का लागत काफ़ी बढ़ा है जिससे कपड़े महंगे हो रहें हैं। उन्होंने कहा की इस उद्यौग में इनोवेशन और नई तकनीक की आवायशकता है।
विभा और रिंकी देवी जो की कई वर्षों से इस कार्य को कर रहीं हैं उन्होंने बताया की रेशम और टैक्सटाइल उद्योग ने उन्हें आजीविका चलाने में मदत करता है किंतु इसमें मेहनताना कम है और इसपे ध्यान देने की आवश्यकता है।
युवा आर्टिस्ट तारा कुमारी बताती हैं की उन्होंने 7वर्ष की उम्र में ही मधुबनी चित्रकारी सीखना और बनाना शुरू कर दिया था और आज कपड़ो पे इसे बखूबी उखेरती हैं और लोगों को ट्रेनिंग भी देती हैं।