बिना इनक्यूबेशन से जुड़े न शुरू करें स्टार्टअप, छोटी रकम भी डूबी तो टूट जाता है हौसला

बिना इन्क्यूबेशन सेंटर के न करें स्टार्टअप, छोटी रकम भी डूबी तो टूट जाएगा हौसला

 

जिस परिवेश में हम बड़े हुए हैं, वो परिवेश हमें पूरी तरह नौकरियां पाने की दौड़ में सबसे आगे रहने के लिए प्रेरित करता है। यह प्रेरणा सही दिशा में चली तो सबकुछ ठीक रहता है लेकिन कई बार यह प्रेरणा अतिरिक्त दबाव भी बन जाती है। लेकिन इन सामाजिक प्रेरणा और दबाव के अलावा तीसरी लाइन की गुंजाइश नहीं रहती। बिजनेस वाला माइंडसेट तो अधिकतर घरों में बनने से पहले टूट जाता है या तोड़ दिया जाता है। लेकिन जब नौकरियां कम हो रही हैं या मनमुताबिक काम करने की आजादी छीन रही है तो स्वरोजगार ऐसा सिस्टम बनाता है जिसमें काम करने की आजादी और सफलता दोनों मिल सकती है। हालांकि जितने फायदे स्वरोजगार के गिनाए जाते हैं, इसके जोखिम भी उतने ही छुपे हुए हैं। इसलिए जरूरी है कि जब तैयारी पूरी हो तभी स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ें।

 

सबसे पहले यह समझ लेना होगा कि स्वरोजगार करते हुए ही हम सब सीख सकते हैं, यह दिमाग से निकाल देना होगा। स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ने से पहले प्रॉपर ट्रेनिंग जरूरी है। ट्रेनिंग सही नहीं हुई तो सफलता का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है। यह ट्रेनिंग आज के वक्त में इतनी भी मुश्किल नहीं है क्योंकि तमाम संस्थान हैं जहां से दो से चार महीने की बेसिक ट्रेनिंग कर सकते हैं। बिहार में ऐसे दर्जन भर संस्थान हैं लेकिन इन संस्थानों को चुनते वक्त आपको मेंटर्स की गुणवत्ता का ख्याल रखना होगा। गुणवत्ता का मतलब डिग्री से नहीं है। एक मेंटर आपको एकेडमिक ट्रेनिंग करता है तो दूसरा इंडस्ट्री के हिसाब से। एकेडमिक ट्रेनिंग कर आप नौकरी कर सकते हैं लेकिन स्वरोजगार के लिए इंडस्ट्री के हिसाब से ट्रेनिंग जरूरी है। इंडस्ट्री लिंक्ड मेंटर्स का फायदा ये होगा कि वो आपके स्वरोजगार के मॉडल की खूबियां, खामियां, चुनौतियां, प्रतिस्पर्धा सबकुछ आपको बता सकता है। 

 

सही मेंटर्स से बेसिक ट्रेनिंग पूरी करने के बाद जरूरी है कि आप अपने रोजगार के मॉडल का मार्केट रिसर्च पूरा करें। इसमें जरूरी है कि प्रोडक्ट की जरूरत लोगों को है या नहीं। इसके साथ जो पोटेंशियल कस्टमर हो सकते हैं, उनकी खर्च करने की क्षमता आपके प्रोडक्ट के अनुरुप है या नहीं। इसके अलावा लोकेशन का चयन भी महत्वपूर्ण है जो आपके प्रोडक्ट को सही मार्केट उपलब्ध करा सकता है। यह सबकुछ आसान हो सकता है जब आप किसी बेहतर इन्क्यूबेशन सेंटर में इंडस्ट्री लिंक्ड मेंटर्स के साथ काम करें। बिना इन्क्यूबेशन सेंटर के अगर आप स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ेंगे तो जोखिम कई गुना अधिक होगा और एक बार आपकी छोटी पूंजी भी डूबी तो आगे के लिए आपका हौसला टूट जाएगा। इससे बेहतर है कि अपने जोखिम को कम करने के लिए बेहतर इन्क्यूबेशन सेंटर और इंडस्ट्री लिंक्ड मेंटर्स के साथ काम करें। एक बार आपका स्टार्टअप मार्केट में निकल जाता है तो भी कम से कम तीन साल अपने मेंटर्स के साथ जुड़े रहें क्योंकि जो अनुभव आप नुकसान उठा कर सीखेंगे, हो सकता है कि आपके मेंटर्स उन खतरों से आपको पहले ही आगाह कर सकें।

 

आज न मेंटरशिप की दिक्कत है और न ही योजनाओं की। अलग अलग इन्क्यूबेशन सेंटर्स हैं जहां आप अपने स्तर पर मुलाकात कर उनका चयन कर सकते हैं। बिहार उद्यमी संघ का इन्क्यूबेशन सेंटर इंटरप्राइजिंग जोन तो मुफ्त में मेंटरशिप उपलब्ध कराता है, कुछ सेंटर्स में यह मुफ्त नहीं है। इसका चयन स्टार्टअप शुरू करने वालों को खुद से रिसर्च कर करना चाहिए। सरकारी और निजी इन्वेस्टर्स की भी कमी नहीं है। अलग अलग स्तर पर अलग अलग फंड उपलब्ध हो सकते हैं, बशर्ते आपकी ट्रेनिंग सही तरीके से हुई हो और आपका प्रोजेक्ट सही तरीके से बना हो। फंडिंग के लिए प्रपोजल आपको बनाना है, जिसमें इन्क्यूबेशन सेंटर्स आपको मदद करता है। साथ ही तकनीक के बारे में भी समझना जरूरी है। अगर मैन्युफैक्चरिंग में जाना है तो प्लांट मशीनरी में लेटेस्ट क्या है, यह समझना जरूरी है। जबकि सर्विस सेक्टर में बढ़ना है तो लेटेस्ट सॉफ्टवेयर की जानकारी होना जरूरी है। स्टार्टअप शुरू करने के लिए फंड इन स्कीम्स के जरिए मिल सकता है।

 

* स्टार्टअप बिहार : बिहार सरकार की इस योजना में 10 लाख रुपए तक का सीड फंड मिलता है, जो 10 सालों तक इंटरेस्ट फ्री लोन है। इसके लिए आइडिया के साथ पूरा बिजनेस प्लान भेजना होता है। प्लान के चयन के बाद इन्क्यूबेशन सेंटर भेजा जाता है और उसके बाद सेंटर के रिकमेंडेशन के आधार पर सीड फंड जारी होता है। 

* एससी-एसटी उद्यमी योजना : इसमें भी 10 लाख रुपए का फंड एससी-एसटी कैटेगरी के उद्यमियों को बिहार सरकार की देती है। इसमें पांच लाख रुपए तो अनुदान होता है जबकि शेष पांच लाख रुपए 10 साल के लिए इंटरेस्ट फ्री होता है।

* महिला उद्यमी योजना : इस योजना में भी बिहार सरकार 10 लाख रुपए का फंड सिर्फ महिला उद्यमियों को देती है जिसमें पांच लाख रुपए अनुदान होता है और शेष पांच लाख रुपए एक प्रतिशत इंटरेस्ट पर दिया जाता है।

* केंद्रीय योजनाएं : भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक एंड आईटी द्वारा बिहार में इंटरप्राइजिंग जोन को चार स्टार्टअप का चयन किया जाता है। इसमें वैसे स्टार्टअप शामिल होते हैं जो तकनीकी महारत वाले होते हैं। 

* मुद्रा योजना : स्वरोजगार के लिए इस योजना के तहत 50 हजार से 10 लाख रुपए तक का फंड मिल सकता है।

* सीजीटीएसएमई : क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट फॉर माइक्रो एंड स्मॉल इंटरप्राइजेज स्कीम के तहत दो करोड़ रुपए का फंड मिल सकता है। यह फंड ज्यादातर मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के लिए जारी किया जाता है।

* एमएसएमई स्कीम्स : इसके तहत स्फूर्ति योजना में तीन करोड़ रुपए तक और क्लस्टर योजना में 20 करोड़ रुपए तक का फंड मिल सकता है।